शनिवार, 5 सितंबर 2015

आनंद का प्रतीक "मोदक"

भगवान गणेश का प्रत्येक श्रृंगार व वस्तु हमें शिक्षा देती है। आज हम भगवान श्रीगणेश को अति प्रिय मोदक के विषय में चर्चा करेंगे।

"मोद" यानी आनंद "क" का अर्थ है छोटा-सा भाग। अतः मोदक यानी आनंद का छोटा-सा भाग। मोदक का आकार नारियल समान, यानी "खऽ"नामक ब्रह्मरंध्र के खोल जैसा होता है। कुंडलिनी के "ख" तक पहुंचने पर आनंद की अनुभूति होती है। हाथ में रखे मोदक का अर्थ है कि उस हाथ में आनंद प्रदान करने की शक्ति है। "मोदक" मान का प्रतीक है, इसलिए उसे ज्ञानमोदक भी कहते हैं।

आरंभ में लगता है कि ज्ञान थोड़ा सा ही है (मोदक का ऊपरी भाग इसका प्रतीक है।), परंतु अभ्यास आरंभ करने पर समझ आता है कि ज्ञान अथाह है। (मोदक का निचला भाग इसका प्रतीक है।) जैसे मोदक मीठा होता। वैसे ही ज्ञान से प्राप्त आनंद भी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें