गुरुवार, 6 अगस्त 2015

श्रावन मास और सोमवार

मनुष्य जीवन बहुत ही मुश्किल से मिलता है पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि 84 लाख योनियाँ पार कर आत्मा को यह पंचतत्व से मिश्रित श्रेष्ठशरीर मिलता है, जिसे हम मनुष्य शरीर कहते है । जिसका मुख्य उद्देश्य जीवन को मर्यादा और विभिन्न मार्गों का अनुशरण करते हुए आंतरीक प्राण आत्मा को इश्वर तत्व तक पहुचाना होता है।

शास्त्रों में महादेव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले परम अराध्य देव के रुप में जाना जाता है और इसी कारण इन्हें भोलेनाथ के नाम से पुकारा जाता है। भक्तों द्वारा पुकारने व पूजा करने पर यह शीघ्र अति शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों के कष्टों का हरण कर देते है। और यदि व्यक्ति सच्चे मन से शिव का स्मरण करता है तो उसे भी भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है ।

कथा और ताण्डव मंत्र महिमा

कथा:
मित्रो आप सब ज्ञान के धनी है आप सब जानते हैं की लंकाधिपति रावण भगवान शिव का प्रिय भक्त था, वह इतना ऐश्वर्यशाली था की उसके शिव पूजन के लिए स्वयं इन्द्रदेव गंगाजी का जल लेके आते थे और सृष्टिकरता ब्रह्माजी वेद में अष्टाध्यायी का पाठ करते थे । पूजन के बाद रावण प्रार्थना रूपमें ताण्डव स्तोत्र का गान करता था, तब स्वयं शिवजी प्रकट होकर दर्शन दिया करते थे ।

पर आश्चर्य की बात यह है की वह सुखी नहीं था यह उसका मंत्र ही कहता है -
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ 

हे! शिव मैं आपके मंत्रों का उच्च स्वर से अलाप करता हूँ, पर मैं सुखी कब होउँगा । अर्थात वह सुखी नहीं । तो वह किस सुख की कामना करता था ? वह सुख है "मुक्ती" का । इस राक्षस योनी से मुझे मुक्ती कब मिलेगी यही उसकी कामना थी । 

शिवलिंग

“शिवलिंग” भगवान शंकर का प्रतीक है। उनके निश्छल ज्ञान और तेज़ का यह प्रतिनिधित्व करता है। शिव का अर्थ है- कल्याणकारी। लिंग का अर्थ है - सृजन। 
भगवान शंकर के शिवलिंग की जल, दूध, बेलपत्र से पूजा की जाती है। सर्जनहार के रूप में उत्पादक शक्ति के चिह्न के रूप में लिंग की पूजा होती है। 

सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है लेकिन भगवान शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है। शिवपुराण में कहा गया है कि साकार और निराकार दोनों ही रूप में शिव की पूजा कल्याणकारी होती है लेकिन शिवलिंग की पूजा करना अधिक उत्तम है। शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा करके जो भक्त शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें प्रातः काल से लेकर दोपहर से पहले ही इनकी पूजा कर लेनी चाहिए। इस दौरान शिवलिंग की पूजा विशेष फलदायी होती है।