होलिका दहन फाल्गुन की पूर्णिका में प्रदोष काल में किया जाता है। यह तिथि 23 मार्च को पड़ रही है। 22 मार्च को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट तक चतुर्दशी है। इसके बाद पूर्णिमा लग जाएगी। तो 23 मार्च को शाम 5.30 तक रहेगी। क्योंकि इस दिन पूर्णिमा ज्यादा समय तक रहेगी। इसलिए होलिका दहन के लिए 23 मार्च ही उत्तम है। इसमें किसी तरह का संशय नहीं रखना चाहिए। यह भी बताया गया कि 23 को प्रदोष काल साढ़े 5 बजे तक रहेगा, लेकिन होलिका दहन आमतौर पर देर रात किया जाता है। वैसे मुहूर्त के हिसाब से यह काम तय समय तक ही किया जाना चाहिए।
होलिका दहन 23 मार्च को ही होगा। पूर्णिमा के प्रदोष काम में यह काम होता है। तारीख को लेकर कोई संशय नहीं है। शाम साढ़े 5 बजे तक का समय होलिका दहन के लिए बेहतर है।
होलिका दहन मुहूर्त = 18:47 से 21:10
अवधि = 2 घण्टे 23 मिनट्स
भद्रा पूँछ = 22nd, मार्च को 23:45 से 01:04
भद्रा मुख = 01:04 से 03:15
फागुन शुक्ल प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के भद्रा रहित होने पर होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत बताया गया है। इसलिए इस बार 23 मार्च की होली मनाई जाएगी। 22 मार्च मंगलवार को पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी है। इस दिन भद्रायुक्त पूर्णिमा होने से होलिका दहन निषेध माना गया है, जबकि 23 मार्च बुधवार को वृद्धि गामिनी पूर्णिमा है, जो भद्रा मुक्त है।
इस दिन शाम 5.31 बजे तक पूर्णिमा है, जो साढ़े तीन प्रहर से अधिक काल की होती है। उससे आगे आने वाली प्रतिपदा का मान भी पूर्णिमा से अधिक होने के कारण 23 मार्च को ही गोधूलि युक्त प्रदोष वेला में होलिका दहन शास्त्रानुसार रहेगा। जयपुर में इस दिन प्रदोष काल में शाम 6.36 बजे से 6.48 बजे तक होलिका दहन किया जा सकेगा।
आप सबको होलिका दहन व होली महोत्सव की शुभकामनाएँ..!!!
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