शनिवार, 28 मार्च 2015

Satyanarayan Fast story (सत्यनारायण व्रत कथा)

भगवान सत्यनारायण की कथा इह​ लोक में प्रचलित है। कुछ लोग मनौती (मनोकामना) पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रतकथाके दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथा स्कंद पुराण के रेवाखंड से संकलित की गई है। सत्यनारायण व्रतकथा पुस्तिका के प्रथम अध्याय में यह बताया गया है कि सत्यनारायण भगवान की पूजा कैसे की जाय।

जो व्यक्ति सत्यनारायण की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना चाहिए। पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके वहां एक अल्पना बनाएं और उस पर पूजा की चौकी रखें। इस चौकी के चारों पाये के पास केले का वृक्ष लगाएं। इस चौकी पर ठाकुर जी और श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें फिर इन्द्रादि दशदिक्पाल की और क्रमश: पंच लोकपाल, सीता सहित राम, लक्ष्मण की, राधा कृष्ण की। इनकी पूजा के पश्चात ठाकुर जी व सत्यनारायण की पूजा करें। इसके बाद लक्ष्मी माता की और अंत में महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा करें।

पूजा के बाद सभी देवों की आरती करें और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण करें। पुरोहित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दे व भोजन कराएं। पुराहित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं भोजन करें।

उद्देश्य
सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके मनुष्य सभी दु:खों से मुक्त हो जाता है। कलिकाल में सत्य की पूजा विशेष रूप से फलदायीहोती है। सत्य के अनेक नाम हैं, यथा-सत्यनारायण, सत्यदेव। सनातन सत्यरूपीविष्णु भगवान कलियुग में अनेक रूप धारण करके लोगों को मनोवांछित फल देंगे।

क्यूं करते हैं
सत्यनारायण भगवान की कथा लोक  प्रचलित है। सत्यनारायण व्रतकथाके दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथास्कंदपुराणके रेवाखंडसे संकलित की गई है। सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके मनुष्य सभी दु:खों से मुक्त हो  जाते हैं! कलिकाल में सत्य की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। सत्य के अनेक नाम हैं, यथा-सत्यनारायण, सत्यदेव। सनातन सत्यरूपीविष्णु भगवान कलियुग में अनेक रूप धारण करके लोगों को मनोवांछित फल देते हैं।

कब करते है
सत्यनारायण व्रत मुख्य रूप से पूर्णिमा,एकादशी, जन्मदिवस​, विवाह के समय और संक्रान्ति आदि में किया जाता है ! कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। 

कैसे करते हैं
जो व्यक्ति सत्यनारायण की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना चाहिए। पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके यदि गोबर उपलब्ध न हो तो पिसी हल्दी से लीप कर रंगोली भरें। उस रंगोली पर काठ की चौकी रखें। इस चौकी के चारों पाये के पास केले का वृक्ष लगाएं। इस चौकी पर श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें।

शान्ती पाठ,  गणपति जी की षोडसोप्चार विधी से पूजन, वरुण कलश का पूजन, नवग्रह पूजन​, षोडशमात्रिका पूजन   श्रीराधाकृष्ण​,  भगवान श्रीसत्यनारायण की पूजा,  भगवान श्रीसत्यनारायणजी का अभिषेक, भगवान श्रीसत्यनारायण  कथा , कथा के बाद सभी देवों की आरती करें और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण ! 

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