मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

Akshaya Tritiya (अक्षय तृतीया)

"अक्षय तृतीया" वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है । इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है । वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।

वैशाख मास को भगवान विष्णु के नाम पर ऽमाधव मासऽ कहा जाता है। इस मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को सनातन ग्रंथों में अक्षय-फलदायी बताया गया है। इसी कारण इस तिथि का नाम "अक्षय तृतीया" पड़ गया। भविष्य पुराण में कहा गया है- 
यत किंचिद दीयते दानं स्वल्पं वा यदि वा बहु । 
तत सर्वमक्षयं यस्मात तेनेयमक्षया स्मृता ॥ 
अर्थात इस तिथि में थोड़ा या बहुत, जितना और जो कुछ भी दान दिया जाता है, उसका फल अक्षय हो जाता है। ऋषि-मुनियों का निर्देश है कि अक्षय तृतीया के दिन हर व्यक्ति को अपनी साम‌र्थ्य के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। भविष्योत्तर पुराण में जौ-चने का सत्तू, दही-चावल, गन्ने का रस, दूध से बनी मिठाई, शक्कर, जल से भरे घड़े, अन्न तथा ग्रीष्म ऋतु में उपयोगी वस्तुओं के दान की बात कही गई है।

प्यासे पथिकों के लिए प्याऊ लगवाती हैं। कुछ लोग शीतल जल का शर्बत पिलाते हैं। सही मायनों में तन-मन-धन से गरीबों की सेवा ही नारायण की अर्चना है। धन होने पर दान जरूर करें, इससे मन को संतोष मिलता है और चित्त शुद्ध हो जाता है। अक्षय तृतीया संग्रह करने की बजाय दान देने की प्रेरणा देती है यह तिथि अपने नाम के अनुरूप अक्षय फल देने में समर्थ है।

अक्षय का मतलब जो कभी क्षय नहीं होता है। इसलिए इस दिन जप, दान, या कोई भी जो शुभ कार्य किया जाता है वह क्षय नहीं होता । अक्ती के दिन किसी भी कार्य की शुरू करना एवं वस्तु की खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है। इस बार अक्षय तृतीया २१ अप्रैल २०१५ को मनाई जायेगी । सोमवार की रात्रि१९:०२ से तृतीया तिथी का प्रवेश होगा जो दिनांक २१ मंगलवार को सायं १७: ०५ तक रहेगी । इस दिन सूर्योदय ०६: २१ बजे और सूर्यास्त १८: ५३ पर होंगे । सौभाग्य योग रात्रि२२: ३५ बजे तक है । वही सूर्य मेष राशि और चन्द्र वृषभ राशि पर स्थिर रहेंगे । आज के दिन राहूकाल का समय दोपहर १५: ४५ से १७: १९ तक रहेगा । अमृतकाल का समय प्रात​: ०९: ४१ से ११: ११ तक है । विशेष मुहूर्त  चौघड़िया:- ०९: २९ से ११: ०३ तक चल​, ११: ०३ से १२: ३७ तक लाभ,  १२: ३७ से १४: ११ तक अमृत,​ १५: ४५ से १७: १९ तक शुभ ।

अक्षय तृतीया पर क्या करें
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र या गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की शांत चित्त होकर विधि विधान से पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है। नैवेद्य में जौ या गेहूं या सत्तू, ककडी और चने की दाल अर्पित की जाती है। तत्पश्चात फल, फूल, बर्तन तथा वस्त्र आदि दान कर दक्षिणा देने की मान्यता है। इस दिन ग्रीष्म का प्रारंभ माना जाता है इसलिए इस दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड़, सकोरे, पंखे, खड़ाऊं, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककडी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि गर्मी के मौसम में लाभ देने वाली वस्तुओं का दान किया जाता है। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद अथवा पीले गुलाब से करना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें