बल, बुद्धि, विकास के लिए करें हनुमानजी की उपासना:
श्रीराम भक्त हनूमान (ज्ञानिनामग्रगन्यम्) अर्थात ज्ञानियों में श्रेष्ठ ज्ञानी हैं । इस घोर कलियुग में अपने भक्तों पुकार शीघ्रता से सुनते हैं, और उसका कल्याण करते है । धर्म शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा माना जाता है । इसलिए प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में यह उत्सव मनाया जाता है, जो इस वर्ष पूर्णिमा 4 अप्रैल 2015 दिन शनिवार को है ।
देखा जाए तो हनुमान जी की उपासना के अनेको विधी विधान प्रचलन में है, परन्तु यह समय बार- बार उपलब्ध नहीं हो पाता । इस बार 4 अप्रैल 2015 को प्रात: 06:26 am. से ही खण्डग्रास चन्द्र ग्रहण का सूतक लग रहा है, साथ ही शनिवार का दिन जो हनुमानजी की उपासना का महत्वपूर्ण समय माना गया है । हालाकि उपासक दिन में हनुमान जी के सहित किसी भी देवता की पूजा नहीं कर सकेंगे परन्तु रात्रि में 08 pm. बजे से यह अनुष्ठान अवश्य प्रारम्भ किया जा सकता है ।
कैसे करे उपासना:
ग्रहण काल की समाप्ती के बाद साफ सफाई कर स्नान करें, बाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ है। आज के दिन हनुमान जी का षोड्शोपचार पूजन करें। पूजन के उपचारो मे गंधपूर्ण तेल मे सिंधूर मिलाकर उससे मूर्ति चर्चित करें। पुन्नाम (हजारा, गुलहजारा) आदि के फूल चढ़ाए और नैवैद्य मे चूरमा या आटे के लड्डू व फल इत्यादि अर्पण करके ‘वाल्मिकीय रामायणऽ अथवा श्री राम चरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ करें। हनुमत जयंती के पावन अवसर पर हनुमान चालीसा, हनुमत अष्टक व बजरंग बाण का पाठ करने से शनि, राहु व केतु जन्य दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन सुंदर कांड का पाठ करते हुए अष्टादश मंत्र का जप भी करना चाहिए।
अष्टादश मंत्र -
॥ॐ भगवते आन्जनेयाय महाबलाय स्वाहा॥
इस मंत्र जाप 108 माला करें..
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