शंख का एक अपना महत्त्व:
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धार्मिक अनुष्ठानों में शंख का एक अपना महत्त्व है, पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है । देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियमित रूप से बजाते हैं। ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है। शंख रखने, बजाने व इसके जल का उचित इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते हैं। कई फायदे तो सीधे तौर पर सेहत से जुड़े हैं।
धार्मिक ग्रंथों में शंख को माता लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है। शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है, शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में इसे धारण करते हैं ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है। पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है. जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुनकर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं। अच्छे विचारों का फल भी स्वाभाविक रूप से बेहतर ही होता है।शंख की आवाज लोगों को पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करती है। ऐसी मान्यता है कि शंख की पूजा से कामनाएं पूरी होती हैं। इससे दुष्ट आत्माएं पास नहीं भटकती हैं।
आयुर्वेद, विज्ञान और वास्तु:
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वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है। कई टेस्ट से इस तरह के नतीजे मिले हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, शंखोदक के भस्म के उपयोग से पेट की बीमारियां, पथरी, पीलिया आदि कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। हालांकि इसका उपयोग एक्सपर्ट वैद्य की सलाह से ही किया जाना चाहिए।
शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है, पुराणों के अनुसार अगर श्वास का रोगी नियमित तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है के
शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। यह दांतों के लिए भी लाभदायक है। शंख में कैल्शियम, फास्फोरस व गंधक के गुण होने की वजह से यह फायदेमंद है। वास्तुशास्त्र के मुताबिक भी शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। शंख की आवाज से सोई हुई भूमि जाग्रत होकर शुभ फल देती है।
शंख के प्रकार:
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शंख मुख्य रूप से दो हैं १.दक्षिणावर्ती २.वामवर्ती, मंदिर में रखे जाने वाले शंख उल्टे हाथ के तरफ खुलते हैं और बाजार में आसानी से मिल जाते हैं, यह वामवर्ती शंख है। जबकि दक्षिणावर्ती शंख सीधे हाथ के तरफ खुलते हैं और बहुत चमत्कारी होते हैं और बहुत ही मुश्किल से मिल पाते हैं। दक्षिणावर्ती शंख एक दुर्लभ वस्तु है। ये आसानी से नहीं मिल पाता है क्योंकि दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता है।
इसलिए ही ज्योतिष में बताया गया है कि दक्षिणावर्ती शंख घर में होने पर लक्ष्मी का घर में वास रहता है। तंत्र शास्त्र ने सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले शंख को यदि पूर्ण विधि-विधान के साथ लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर में अलग-अलग स्थान पर रखें तो हर तरह की परेशानियों का हल हो सकता है। इसलिए घर में शंख रखा जाना शुभ माना जाता है। वर्तमान समय में वास्तु-दोष के निवारण के लिए जिन चीजों का प्रयोग किया जाता है, उनमें से यदि दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग किया जाए तो कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं। इससे आरोग्य वृद्धि, आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, विवाह में विलंब जैसे अनेक दोष दूर होते हैं। कहते हैं कि जिस घर में नियमित शंख ध्वनि होती है वहां कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है।
शंख पूजन से श्री समृद्धि आती है यदि इस शंख में दूध भरकर किसी नि:संतान महिला को पिलाया जाए तो उसे जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस शंख में रात भर पानी भर कर रखे सुबह मुख पर लगाने से दाग धब्बे व काले निशान हट जाते है। पूजा करने के बाद इस शंख के जल को घर में छिडकने पर घर पर कोई बुरा साया नहीं पड़ता है।
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