शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

Part-14 (13. केशान्त) Keshant

गुरुकुल में वेदाध्ययन पूर्ण कर लेने पर आचार्य के समक्ष यह संस्कार सम्पन्न किया जाता था। वस्तुत: यह संस्कार गुरुकुल से विदाई लेने तथा गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने का उपक्रम है। वेद-पुराणों एवं विभिन्न विषयों में पारंगत होने के बाद ब्रह्मचारी के समावर्तन संस्कार के पूर्व बालों की सफाई की जाती थी तथा उसे स्नान कराकर स्नातक की उपाधि दी जाती थी। केशान्त संस्कार शुभ मुहूर्त में किया जाता था।

वास्तव में यह संस्कार गुरूकुल में वेदाध्ययन पूर्ण करने के पश्चात सम्पन्न किया जाता था। इस संस्कार में छात्र दाढ़ी बनाते थे उसके पश्चा पवित्र जल में स्नान करते थे। इन क्रियाओ के बाद छात्रों को स्नातक की उपाधि दी जाती थी एवं उन्हें गृहस्थ आश्रम में प्रवेश की आज्ञा दी जाती थी। इस संस्कार में दाढ़ी बनाने के पश्चात उन बालों को या तो गाय के गोबर में मिला दिया जाता था या गौशाला में गढ्ठा खोदकर दबा दिया जाता था अथवा किसी नदी में प्रवाहित कर दिया जाता था। इस प्रकार की क्रिया इसलिए की जाती थी ताकि कोई तांत्रिक उन बालों पर अपनी तान्त्रिक क्रिया के द्वारा नुकसान न पहुंचा सके। इस संस्कार के बाद गुरू को गाय दान दिया जाता था। यह संस्कार शुभ मुहुर्त देखकर आयोजित किया जाता था। मुहुर्त का आंकलन किस प्रकार किया जाता था चलिए इसे जानते हैं।


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