• शिव पूजन में समय : शिव पूजन में समय का बड़ा महत्व है, वैसे श्रावण माह में कोई समय निर्धारित नहीं माना गया क्योंकि श्रावण एक पवित्र महीना है और इस माह किसी भी समय शिव पूजन किया सकता है परन्तु श्रावण में सोमवार और प्रदोष का एक अपना ही महत्व है । कारण की सोमवार शिव पूजन का विशेष दिन है और प्रदोष भगवान शिव की रात्री है । तो इन दिनों में भक्त विशेष रूप से शिवार्चन कर सकते हैं ।
• शिव पूजन में व्रत : शिव पूजन में व्रत का भी बड़ा महत्व है, इसलिए व्रत कब और कैसे रहना है इस बात की जानकारी भी हम नित्य प्रति दिन देते रहेंगे ।
• व्रत में क्या हो आहार : व्रत में आहार क्या खाएं क्या नहीं, समय क्या रहेगा आहार का यह भी व्रत का एक हिस्सा है । एक तो बरसात का मौसम और दूसरा व्रत इसलिए समय से पूर्व ही आहार से सम्बन्धित पदार्थों को एकत्रित करलेना उत्तम रहेगा ।
• पार्थिव शिव लिंग : कुछ भक्त शिवालय में जाकर पूजन अर्चन करते हैं तो कुछ स्वग्रह में मिट्टी से निर्माण कर पूजन करते हैं, जो पूरे महीने मिट्टी से अपने घर में शिव पूजन करना चाहते हैं उन्हें समय से पूर्व ही स्वच्छ मिट्टी की व्यवस्था करलेनी चाहिए। मिट्टी काली और चिकनी हो, मिट्टी के अलावा गंगा, नमर्दा तट की वालू से भी शिवलिंग का निर्माण कर पूजन किया जा सकता है ।
• बेल पत्र : श्रावन माह के शिव पूजन में बेलपत्र का बहुत महत्व है, सावधानी यह बरतें की बेलपत्र फटा न हो उसमें किसी कीड़े के द्वारा बनाया कोई चिन्ह न हो और साफ तीन पत्तियों के अलाबा उसमें गांठ या डण्ठल न हो । समय से पूर्व एकत्रित कर पत्तियों में स्वेत या पीत चन्दन से राम- राम लिखलें । नित्य कम से कम पांच या ग्यारह बेलपत्र चढाना चाहिये ।
• शिव पूजन में पुष्प : शास्त्रों में कुछ फूलों के चढाने से मिलनेवाले फलका तारतस्य बतलाया है, जैसे- दस सुवर्ण-माप के बराबर सुवर्ण दान का फल एक आक के फूल को चढाने से मिलता है। हजार आक के फूलों के फूलों की अपेक्षा एक कनेर का फूल, हजार कनेर के फूलों के चढाने की अपेक्षा एक बिल्व पत्र से फल मिलता है और हजार बिल्वपत्र की अपेक्षा एक गुमाफूल [ द्रोण-पुष्प ] होता है । इस तरह हजार गुमासे बढकर एक चिचिड़ा, हजार चिचिड़ों [ अपामार्गो ] से बढ़कर एक कुशका फूल, हजार कुश-पुष्पों से बढ़कर एक शमी का पत्ता, हजार शमी के पत्तों से बढ़कर एक नीलकमल, हजारकमलों से बढ़कर एक धतूरा, हजार धतूरों से बढ़कर एक शमी का फूल होता है । अंत में बताया है कि समस्त फूलों की जातियों में सबसे बढ़कर नीलकमल होता है ।
***सर्वासां पुष्पजातीनां पर्यावरण नीलमुत्पलम ***
• शिव पूजन में दूध : शिव पूजन में दूध का महत्व गंगा जल जितना है इसलिए दूध कैसा हो यह भी जानलेना आवश्यक है । पूजन में केवल गाय का दूध ही स्वीकार्य है, वह पका ना हो । दूध को तांबा, लोहा और प्लास्टिक के बर्तनों में नहीं रखना चाहिए और ना ही इन बर्तनों से शिवलिंग पर दूध चढाना चाहिए । पूजन में प्लास्टिक का उपयोग सर्वथा वर्जित माना गया है । तांबा पवित्र धातू है इसके पात्र में दूध दही शहद चन्दन नहीं रखा जाता । रखने पर वह पूजन योग्य नहीं होता । अगले पोस्टमें जानेंगे- क्या है, शिवाभिषेक का महत्व ।
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