शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

महाकुम्भ महापर्व


कुम्भ बारह वर्ष के अन्तर से चार मुख्य तीर्थों में लगने वाला स्नान-दान का महापर्व है । इसके चार स्थल प्रयाग, हरिद्वार, नासिक-पंचवटी और अवन्तिका (उज्जैन) हैं । इस 2015 में जुलाई माह के दिनांक 14th से यह कुम्भ का महापर्व नासिक-पंचवटी में मनाया जायेगा, जिसकी तैयारियाँ जोरों पर हैं । जब गुरु सिंह राशि पर स्थित हो तथा सूर्य एवं चंद्र कर्क राशि पर हों, तब नासिक में कुम्भ होता है ।

समुद्र मंथन की कथा में कहा गया है कि कुम्भ पर्व का सीधा सम्बन्ध तारों से है । अमृत कलश को स्वर्ग लोक तक ले जाने में इंद्र के पुत्र जयंत को 12 दिन लगे। देवों का एक दिन मनुष्यों के 1 वर्ष के बराबर है इसीलिए तारों के क्रम के अनुसार हर १२वें वर्ष कुम्भ पर्व विभिन्न तीर्थ स्थानों पर आयोजित किया जाता है ।

पौराणिक विश्लेषण से यह साफ़ है कि कुम्भ पर्व एवं गंगा नदी आपस में सम्बंधित हैं। गंगा प्रयाग में बहती हैं परन्तु नासिक में बहने वाली गोदावरी को भी गंगा कहा जाता है, इसे हम गोमती गंगा के नाम से भी पुकारते हैं।

विन्ध्यस्य दक्षिणे गंगा गौतमी सा निगद्यते, 
उत्तरे सापि विन्ध्यस्य भगीरत्यभिधीयते ।

एव मुक्त्वा गता गंगा कलया वन संस्थिता, 
गंगेश्वरं तु यः पश्येत स्नात्वा शिप्राम्भासि प्रिये।__ स्कंद पुराण

इन दो श्लोकों से पता चलता है की इन चारो तीर्थों में वहने वाली नदियाँ गंगा ही हैं । अब देखते हैं कब और किस योग में कहाँ कुम्भ लगाया जाता है ।
  • पद्मिनी नायके मेषे कुम्भ राशि गते गुरोः । गंगा द्वारे भवेद योगः कुम्भ नामा तथोत्तमाः॥

कुम्भ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होने पर एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर कुम्भ का पर्व हरिद्वार में आयोजित किया जाता है।
  • मेष राशि गते जीवे मकरे चन्द्र भास्करौ । अमावस्या तदा योगः कुम्भख्यस्तीर्थ नायके ॥

मेष राशि के चक्र में बृहस्पति एवं सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में प्रवेश करने पर अमावस्या के दिन कुम्भ का पर्व प्रयाग में आयोजित किया जाता है।
  • सिंह राशि गते सूर्ये सिंह राशौ बृहस्पतौ । गोदावर्या भवेत कुम्भों जायते खलु मुक्तिदः ॥

सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश होने पर कुम्भ पर्व गोदावरी के तट पर नासिक में होता है।
  • मेष राशि गते सूर्ये सिंह राशौ बृहस्पतौ । उज्जियन्यां भवेत कुम्भः सदामुक्ति प्रदायकः ॥

सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर यह पर्व उज्जैन में होता है।

कुम्भ पर्व हर 3 साल के अंतराल पर हरिद्वार से शुरू होता है। कहा जाता है कि हरिद्वार के बाद कुम्भ पर्व प्रयाग, नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है। प्रयाग और हरिद्वार में मनाये जाने वाले कुम्भ पर्व में एवं प्रयाग और नासिक में मनाये जाने वाले कुम्भ पर्व के बीच में 3 सालों का अंतर होता है।
शाही स्नान की तिथियां
27th अगस्त 2015
13th सितम्बर 2015
18th सितम्बर 2015


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